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बहुत हिम्मत चाहिए दिल्ली से निपटने के लिए

पोस्टमॉर्टम
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saif in delhiभई ये बात तो हम सभी अच्छी जानते हैं कि आजकल के युवा जितनी अपने मां-बाप की नहीं सुनते उससे कहीं ज्यादा तो वे अपने पसंदीदा फिल्म स्टार की बात मानते हैं. अब देखिए ना मतदान करने की उम्र 18 वर्ष करने का अर्थ यही होता है कि इस उम्र में लोग सही-गलत की पहचान कर लेते हैं और सोच-समझकर प्रत्याशी को वोट डालते हैं. लेकिन फिर भी चुनाव से पहले प्रत्याशियों को अपनी फैन-फॉलोइंग कनफर्म करने के लिए चुनावी स्टंट खेलने की पड़ते हैं. लेकिन भारतीय नेताओं के हालात कुछ इस कदर खराब हैं कि कोई उनकी बात सुनने के लिए राजी ही नहीं है. तभी तो उन्हें फिल्म स्टारों की शरण में जाना पड़ता है. और वे लोग जो पैसों के लिए किसी को भी सपोर्ट करने के लिए तैयार हो जाते हैं उन्हें जिस पार्टी से ज्यादा पैसे मिले, बिना उसकी पृष्ठभूमि, उसके चरित्र को जाने वह खुलेआम उसके समर्थन में उतर जाते हैं. अरे इसमें गलत भी क्या है ना…ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी बाप बड़ा ना भईया, सबसे बड़ा रुपईया!!


बस इसी तर्ज पर छोटे नवाब साहब भी जनता को वोट डालने के लिए प्रेरित करने की आड़ में राजनीतिक पार्टी का समर्थन करने के लिए पहुंच गए राजधानी दिल्ली. अब जब कुछ ही दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में चुनावी युद्ध छिड़ने वाला है तो थोड़ी बहुत तैयारी तो पहले से ही करनी पड़ती है ना. लेकिन किसे पता था कि चुनाव प्रचार करना उनके लिए ही मुसीबत का सबब बन जाएगा. अब देखिए ना, सैफ अली खान, सोनाक्षी सिन्हा और निर्देशक तिग्मांशु धुलिया दिल्ली में हुई एक बाइक रेस में शामिल होने के साथ-साथ मतदान के लिए जनता को प्रेरित करने के लिए आए थे लेकिन यहां आते ही उन्हें ऐसे-ऐसे हालातों का सामना करना पड़ा कि बेचारे सैफ को कहना ही पड़ा कि अब वह कभी दिल्ली नहीं आएंगे.


वैसे दिल्ली वाले तो यहां के ट्रैफिक जाम की हालत से भली-भांति परिचित ही होंगे लेकिन अब तो मुंए ट्रैफिल जाम ने सैफ अली खान जैसी नवाबी शख्सियत को भी नहीं बक्शा. आम जनता तो ठीक है, उसका तो काम ही है शिकायत करना, उनकी सुनने की तो जरूरत नहीं है लेकिन इतना बड़ा फिल्म स्टार और वो भी पटौदी का नवाब जब जाम में फसता है तो फजीहत तो होगी ना. सैफ अली खान तो इतने नाराज हो गए कि उन्होंने तो यह साफ कह दिया कि दिल्ली के ट्रैफिक की हालात इतनी खराब है कि उन्हें घंटों जाम से उलझना पड़ा और इस जाम की वजह से उनका पूरा शेड्यूल गड़बड़ा गया.


अब मियां सैफ को कौन समझाए कि जाम की हालत से सभी दिल्ली वाले वाकिफ है लेकिन उनके पास आपकी तरह दिल्ली दिल्ली छोड़कर जाने का विकल्प नहीं है. खैर अब आप कितने बड़े समाज सेवक हैं और कितने बड़े जनता के मुरीद यह तो तभी समझ आ गया जब आप मामूली से जाम से डरकर आप अपने उद्देश्य को ही भूल गए. आपके ऐसा करने पर तो अब आपके फैन भी यह कहने लगे हैं कि आप मतदान और चुनाव के लिए जनता को जागरुक करने नहीं बल्कि अपनी आने वाली फिल्म का प्रमोशन करने आए थे.


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