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भईया अब तो हद ही कर दी……बड़बोले रामदेव बाबा भी ना बिना सोचे-समझे पता नहीं क्या-क्या बोल जाते हैं. अच्छी भली योगा सिखा रहे थे ना जाने क्यों बोरिंग सी राजनीति में पैर अड़ाने का जिम्मा संभाल लिया. हम यह कहने वाले कौन होते हैं कि बाबा को सिर्फ योगा ही करनी चाहिए, लेकिन ये तो ध्यान रखो कि बिना सिर-पैर की बातें कर आप क्यों अपनी जग-हंसाई करने में लगे हैं. ओह सॉरी, जग-हंसाई की बात से याद आया इन्हें तो इसका भी अनुभव है क्योंकि जब रामलीला मैदान में बाबाजी अनशन पर बैठे थे तब अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए वह महिलाओं के वस्त्र पहनकर भागे थे उस समय भी तो लोग उन पर ठहाके मार-मार के हंस रहे थे.
अब देखो बड़बोले बाबा ने फिर अपना मुंह खोला और जनता को अपने ऊपर हंसने का एक मौका दे दिया. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को बरकरार रखते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा. हम भी ना क्या बताने बैठ गए आपको, ये तो आपको याद ही होगा. अगर ये याद है तो इसे अपराध बताए जाने के विरोध में शुरू हुए आंदोलनों से भी आप भली भांति परिचित ही होंगे कि किस तरह कांग्रेस धारा 377 को बरकरार रखने जैसे निर्णय का मुखर विरोध कर रही है.
कांग्रेस के इस विरोध पर योग गुरु रामदेव बाबा ने भी अपना मुंह खोल दिया है और उनका यह मानना है कि वे कांग्रेसी जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं वह सब के सब समलैंगिक हैं. बड़बोले बाबा यहीं नहीं रुके ‘आप’ की जीत पर भी उन्होंने अपना मुंह खोला और जब खोला तो भई क्या बोला ये भी सुन लीजिए. उनका कहना था कि संसद में दो-चार झाड़ू लगाने वाले भी होने चाहिए. बेचारे बाबा शायद ये नहीं जानते कि वो दो-चार नहीं बल्कि पूरे 28 हैं. चलिए कोई बात नहीं बाबा हैं, बाबा से कौन पंगा ले. वो बोलते हैं, दिनभर बोलते हैं, बोलते ही रहते हैं और मौका मिलते ही बोलते हैं.
पर ये क्या सभी कांग्रेसियों को समलैंगिक करार देकर आपने तो बहुत बड़ा पंगा ले लिया. भई अब आपको उन ‘समलैंगिक’ कांग्रेसियों के कोप से कौन बचाएगा यह तो राजमाता ही निर्धारित करेंगी बहरहाल हम तो आपको यही सलाह देंगे कि भले ही भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा होने की वजह से आपको भी बोलने का अधिकार है लेकिन हर मौके-बेमौके इस अधिकार का प्रयोग करना भी तो सही नहीं है.
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